दिल चाहता है आज फिर एक पैगाम दे दूँ,
मरते दमतक तुम्हें चाहने की जुबान दे दूँ,
ना कोई हसरत रखूँ ना कोई आरजू बस...
तुम्हारी खामोशी को ही वफ़ा का नाम देदूं।
मरते दमतक तुम्हें चाहने की जुबान दे दूँ,
ना कोई हसरत रखूँ ना कोई आरजू बस...
तुम्हारी खामोशी को ही वफ़ा का नाम देदूं।
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