सुनिए तो...
समझा समझा के थक गया
वो बात मेरी समझता ही नहीं
और कितना उसे समझाए हम
उसे तो कभी समझना ही नहीं
फुजूल लगती है उसे मेरी बाते
मुझे अब कुछ कहना ही नहीं
खामोश होगे अब लब मेरे
दर्द ए जुदाई अब सहना ही नहीं
देखेंगे अब हम खामोशी से मंजर
तमाशे मै शामिल हमे रहना ही नहीं
जो ख्वाब देखे थे तेरे संग हमने
ऐसे ख्वाबों को हमे देखना ही नहीं
Irfan....✍️
समझा समझा के थक गया
वो बात मेरी समझता ही नहीं
और कितना उसे समझाए हम
उसे तो कभी समझना ही नहीं
फुजूल लगती है उसे मेरी बाते
मुझे अब कुछ कहना ही नहीं
खामोश होगे अब लब मेरे
दर्द ए जुदाई अब सहना ही नहीं
देखेंगे अब हम खामोशी से मंजर
तमाशे मै शामिल हमे रहना ही नहीं
जो ख्वाब देखे थे तेरे संग हमने
ऐसे ख्वाबों को हमे देखना ही नहीं
Irfan....✍️