कभी ख़ामोश बैठोगे कभी
कुछ गुनगुनाओगे ,,
में उतना याद आऊंगा मुझे
जितना भुलाओगे ,,
कोई जब पूछ बैठेगा खामोशी
का सबब तुम से ,,
बहुत समझाना चाहोगे मगर
समझा ना पाओगे ,,
कभी दुनिया मुकम्मल बन के
आएगी निगाहों में ,,
कभी मेरी कमी दुनिया की
हर शे में पाओगे ,,
कहीं पर भी रहे हम और तुम
मोहब्बत फिर मोहब्बत है ,,
तुम्हे हम याद आएंगे हमे
तुम याद आओगे ,,
©आदिल खान
कुछ गुनगुनाओगे ,,
में उतना याद आऊंगा मुझे
जितना भुलाओगे ,,
कोई जब पूछ बैठेगा खामोशी
का सबब तुम से ,,
बहुत समझाना चाहोगे मगर
समझा ना पाओगे ,,
कभी दुनिया मुकम्मल बन के
आएगी निगाहों में ,,
कभी मेरी कमी दुनिया की
हर शे में पाओगे ,,
कहीं पर भी रहे हम और तुम
मोहब्बत फिर मोहब्बत है ,,
तुम्हे हम याद आएंगे हमे
तुम याद आओगे ,,
©आदिल खान